NHAI Chairman Compensation: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के चेयरमैन से उन मामलों में मुआवजे के भुगतान में हो रही देरी पर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है, जहां केंद्र सरकार ने राजमार्ग परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण किया है। कोर्ट ने इस मामले में कहा कि यह देखा जा रहा है कि NHAI ने भूमि अधिग्रहण के बाद मुआवजे का भुगतान करने में नियमित रूप से देरी की है, जिसके कारण अनावश्यक मुकदमे हाईकोर्ट में दायर हो रहे हैं।
कोर्ट का आदेश और नाराजगी
कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस आनीश कुमार गुप्ता शामिल थे, ने कहा कि मुआवजा राशि मंजूर होने के बावजूद, उसे प्रभावित भूमि मालिकों को देने के लिए सक्षम प्राधिकरण के पास नहीं भेजा जा रहा है। अदालत ने इस पर खेद व्यक्त करते हुए कहा, “हम यह देख रहे हैं कि यह एक सामान्य प्रथा बन चुकी है, जो विभिन्न अधिग्रहणों में NHAI द्वारा अपनाई जा रही है और इससे अनावश्यक मुकदमे हाईकोर्ट में दायर हो रहे हैं।”
NHAI को स्पष्टीकरण देने का आदेश
कोर्ट ने NHAI के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (MD) को निर्देश दिया कि वे इस देरी के बारे में स्पष्टीकरण दें और इस संदर्भ में कोई दिशा-निर्देश या समय सीमा हो तो वह अदालत में प्रस्तुत करें। कोर्ट ने कहा, “हम NHAI के चेयरमैन और MD से यह हलफनामा चाहते हैं कि मुआवजा राशि को मंजूरी दिए जाने के बाद उसे सक्षम प्राधिकरण के पास क्यों नहीं भेजा जा रहा है। इसके साथ ही, NHAI द्वारा इस मामले में कोई दिशा-निर्देश या समय सीमा निर्धारित की गई हो तो उसे भी कोर्ट में प्रस्तुत करें।”
मामला और विवाद का कारण
यह मामला एक भूमि अधिग्रहण से जुड़ा है, जिसमें मार्च 2022 में मुआवजा पुरस्कार दिया गया था, लेकिन प्रभावित 18 भूमि मालिकों ने हाईकोर्ट में यह कहते हुए याचिका दायर की कि उन्हें अब तक मुआवजा नहीं दिया गया। NHAI के वकील ने कोर्ट को बताया कि मुआवजा राशि NHAI के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा मंजूर की जा चुकी है, लेकिन वह सक्षम प्राधिकरण को भुगतान के लिए अभी तक नहीं भेजी गई है। उन्होंने अदालत से इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कुछ समय की मांग की।
राष्ट्रीय राजमार्ग नियम 2019 और मुआवजे का भुगतान
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि राष्ट्रीय राजमार्ग नियम 2019 के तहत, निष्पादक एजेंसी (NHAI) को सक्षम प्राधिकरण द्वारा मांग किए जाने पर पुरस्कार घोषित करने से पहले मुआवजा राशि को मंजूरी देने की आवश्यकता होती है। इससे सक्षम प्राधिकरण को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमन के तहत मुआवजे का भुगतान भूमि मालिकों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से करने में मदद मिलती है, बिना NHAI से कोई और संदर्भ।
NHAI से जवाब की उम्मीद
कोर्ट ने NHAI के चेयरमैन को निर्देश दिया कि वह बताए कि इस आदेश का पालन करते हुए इस मामले में NHAI ने क्या कदम उठाए हैं। अदालत ने मामले को 4 दिसंबर को फिर से सूचीबद्ध किया है।
वकील की उपस्थिति और प्रतिनिधित्व
इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट अखिलेश कुमार मिश्रा ने पेशी की, जबकि भारत सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASGI) राजेश कुमार जैस्वाल और वकील महेंद्र प्रताप ने प्रतिनिधित्व किया। NHAI की ओर से वकील वैभव त्रिपाठी ने पेशी की।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह आदेश राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के मुआवजा भुगतान प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता को उजागर करता है। कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि भूमि अधिग्रहण के प्रभावित लोग समय पर मुआवजा प्राप्त करें और इस प्रक्रिया में होने वाली देरी को समाप्त किया जा सके। NHAI को दिए गए आदेश से यह स्पष्ट होता है कि इस प्रकार की देरी से न केवल प्रभावित लोगों को कठिनाई होती है, बल्कि यह न्यायिक प्रक्रिया पर भी अतिरिक्त दबाव डालती है।