Haryana में भूमि खरीदने और बेचने वालों के लिए बड़ी खबर है। नए कलेक्टर रेट 1 दिसंबर से लागू हो गए हैं, जिससे राज्य में जमीन की रजिस्ट्रेशन महंगी हो गई है। यह फैसला हरियाणा के राजस्व विभाग ने लिया है, जिसके तहत अब सभी जिलों में जमीन की रजिस्ट्रेशन नई दरों पर की जाएगी। इन दरों में 10 से 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है, जिससे ज़मीन खरीदने और बेचने की प्रक्रिया पर सीधा असर पड़ेगा।
कलेक्टर रेट में कितना हुआ इज़ाफा?
हरियाणा के अधिकांश जिलों में कलेक्टर रेट में 10 से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि कुछ पॉश इलाकों में यह बढ़ोतरी 30 प्रतिशत तक हो गई है। उदाहरण के तौर पर, जिंद जिले के अमरहेरी इलाके में कृषि भूमि का कलेक्टर रेट अब 1 करोड़ प्रति एकड़ से अधिक हो गया है, जो पहले 95 लाख प्रति एकड़ था।
प्रमुख शहरों में बढ़ी दरें
- गुरुग्राम:
- पॉश इलाकों जैसे गोल्फ कोर्स रोड, सेक्टर 56-57, और सदर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे में कलेक्टर रेट में 30 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।
- इन क्षेत्रों में अब कलेक्टर रेट ₹15,000 से ₹1,50,000 प्रति वर्ग मीटर तक हो गए हैं।
- फरीदाबाद:
- बल्लभगढ़, ग्रेटर फरीदाबाद और सेक्टर 14, 19, 17, 58 जैसे इलाकों में कलेक्टर रेट 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं।
- उदाहरण के लिए, ग्रेटर फरीदाबाद के गांव अमीरपुर में कृषि भूमि का रेट ₹45 लाख प्रति एकड़ से बढ़कर ₹49 लाख प्रति एकड़ हो गया है।
- रिहायशी इलाकों में यह दर ₹6,200 प्रति वर्ग गज से बढ़कर ₹6,820 प्रति वर्ग गज हो गई है।
- व्यावसायिक दरें ₹13,400 प्रति वर्ग गज से बढ़कर ₹14,740 प्रति वर्ग गज हो गई हैं।
- अन्य जिले:
- पलवल: ₹2,200 से ₹5,600 प्रति वर्ग मीटर
- सोनीपत: ₹9,400 से ₹24,500 प्रति वर्ग मीटर
- पंचकुला: ₹25,000 से ₹55,000 प्रति वर्ग मीटर
- रोहतक, बहादुरगढ़, करनाल और पानीपत जैसे एनसीआर जिलों में भी दरें बढ़ाई गई हैं।
क्यों बढ़ाए गए कलेक्टर रेट?
हरियाणा सरकार का यह कदम राजस्व संग्रह को बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है। राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री विपुल गोयल ने बताया कि बढ़े हुए कलेक्टर रेट 31 मार्च, 2025 तक प्रभावी रहेंगे। इसके बाद, जब तक नई दरें तय नहीं होतीं, भूमि की रजिस्ट्रेशन इन्हीं दरों पर जारी रहेगी।
प्रभाव: बढ़ी दरों का असर
- रजिस्ट्रेशन शुल्क में वृद्धि:
नई दरों के चलते भूमि रजिस्ट्रेशन पर लगने वाला स्टांप शुल्क भी बढ़ जाएगा। इससे ज़मीन खरीदने वालों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। - जमीन की खरीद-फरोख्त पर असर:
महंगी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के कारण जमीन की खरीद-फरोख्त में कमी आ सकती है, खासकर उन इलाकों में जहां कलेक्टर रेट में 30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है। - आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्रों पर प्रभाव:
रिहायशी और व्यावसायिक क्षेत्रों में बढ़ी दरों से नए प्रोजेक्ट्स की लागत भी बढ़ सकती है, जिससे प्रॉपर्टी बाजार पर असर पड़ेगा। - कृषि भूमि पर असर:
किसानों के लिए अपनी जमीन बेचने की प्रक्रिया अब और महंगी हो जाएगी, जिससे छोटे और मध्यम किसानों को नुकसान हो सकता है।
लाभ: बढ़ी दरों से फायदा
- राजस्व में वृद्धि:
नए कलेक्टर रेट से सरकार के राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिसका उपयोग राज्य के विकास कार्यों में किया जा सकता है। - भूमि की सही कीमत:
नई दरें जमीन की वास्तविक बाजार कीमत के करीब लाने में मदद करेंगी, जिससे अवैध लेन-देन और भूमाफिया पर रोक लगेगी। - आर्थिक संतुलन:
बढ़े हुए रेट से राज्य में संपत्ति कर प्रणाली को और अधिक संतुलित बनाने में मदद मिलेगी।
किन जिलों में सबसे अधिक बढ़ोतरी?
नए कलेक्टर रेट के अनुसार, सबसे अधिक बढ़ोतरी गुरुग्राम में हुई है, जहां दरों में 10 से 30 प्रतिशत तक का इज़ाफा हुआ है। इसके बाद फरीदाबाद, रोहतक, बहादुरगढ़, पलवल, और सोनीपत जैसे जिलों में 10 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
भूमि रजिस्ट्रेशन से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि नई दरें रियल एस्टेट सेक्टर में धीमी गति ला सकती हैं, लेकिन लंबे समय में इससे बाजार में पारदर्शिता आएगी।
हरियाणा में लागू हुए नए कलेक्टर रेट ने भूमि की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को महंगा बना दिया है, जिससे आम जनता और रियल एस्टेट सेक्टर दोनों प्रभावित होंगे। हालांकि, सरकार का यह कदम राजस्व बढ़ाने और बाजार को व्यवस्थित करने के लिए उठाया गया है। आने वाले समय में इन दरों का वास्तविक प्रभाव राज्य की अर्थव्यवस्था और भूमि बाजार पर स्पष्ट रूप से दिखेगा।