Indian First Hydrogen Train: भारतीय रेलवे ने 2030 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रेलवे लगातार नए कदम उठा रहा है, और इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन का संचालन किया जाएगा। यह ट्रेन 2025 से हरियाणा के सोनपत-जिंद रूट पर चलेगी। इस ट्रेन का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त करना और रेलवे के संचालन में हरित ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना है।
हाइड्रोजन ट्रेन की विशेषताएँ
देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त होगी। यह ट्रेन 90 किलोमीटर की यात्रा तय करेगी और इसमें 8 से 10 कोच होंगे। यह ट्रेन लगभग 140 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलेगी। यदि तुलना की जाए, तो वर्तमान में जो डीजल ट्रेनें चल रही हैं, वे इस दूरी को तय करने में लगभग 964 किलो ग्राम कार्बन उत्सर्जित करती हैं। वहीं, हाइड्रोजन ट्रेन का संचालन न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम करेगा, बल्कि यह पर्यावरण के प्रति रेलवे का एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
हाइड्रोजन स्टोर करने के लिए बनाए जाएंगे प्लांट
हाइड्रोजन ट्रेन के संचालन के लिए हाइड्रोजन गैस की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जिंद जिले के रेलवे स्टेशन पर एक प्लांट स्थापित किया जा रहा है, जिसमें 3,000 किलो हाइड्रोजन स्टोर किया जा सकेगा। इसके अलावा, जिंद रेलवे स्टेशन पर भूमिगत हाइड्रोजन स्टोरेज की भी तैयारी की जा रही है। इस स्टोरेज में पानी की बोतलें जो स्टेशन की छत से एकत्रित की जाएंगी, उन्हें स्टोर किया जाएगा। हाइड्रोजन ट्रेन के संचालन के लिए आवश्यक मशीनों का आदेश भी दे दिया गया है।
प्रारंभिक परीक्षण और नियमित संचालन
भारतीय रेलवे ने हाइड्रोजन ट्रेन के परीक्षण रन दिसंबर-जनवरी में करने की योजना बनाई है। इसके बाद, यह ट्रेन नियमित रूप से चलने की संभावना है। इस वर्ष के अंत तक इसे चालू किया जा सकता है। यह ट्रेन भारतीय रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी, जो न केवल हरित ऊर्जा की दिशा में एक कदम होगा, बल्कि भारतीय रेलवे को आधुनिक और पर्यावरण के अनुकूल बनाने में मदद करेगा।
भारत दुनिया के पांचवें देश के रूप में हाइड्रोजन ट्रेन का संचालन करेगा
स्वीडन, चीन, जर्मनी और फ्रांस के बाद भारत पांचवां देश होगा, जहां हाइड्रोजन ट्रेनें चलेंगी। यह भारत के लिए एक गौरव का विषय है, क्योंकि इससे न केवल रेलवे के संचालन में सुधार होगा, बल्कि यह देश की पर्यावरण नीति के प्रति भी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भारत में हाइड्रोजन ट्रेन के संचालन के लिए चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में कोचों का निर्माण किया जा रहा है, जो दिसंबर तक तैयार हो जाएंगे।
हाइड्रोजन ट्रेन की क्षमता और तकनीकी जानकारी
हाइड्रोजन ट्रेन को संचालित करने के लिए 1 किलो हाइड्रोजन 4.5 लीटर डीजल के बराबर माइलेज प्रदान करेगा। इस ट्रेन को 8-10 कोचों के साथ खींचने के लिए 2.4 मेगावाट की बिजली की आवश्यकता होगी। इसके लिए ट्रेन में दो पावर प्लांट्स लगाए जाएंगे, जो पूरी ट्रेन को ऊर्जा प्रदान करेंगे।
भारत में हाइड्रोजन ट्रेन के भविष्य की योजना
भारतीय रेलवे का अगले तीन वर्षों में 30 हाइड्रोजन ट्रेनें शुरू करने का इरादा है। यह ट्रेनें मथेरान हिल रेलवे, दार्जीलिंग हिमालयन रेलवे, कालका-शिमला रेलवे, कांगड़ा घाटी, नीलगिरी माउंटेन रेलवे, और अन्य पर्वतीय मार्गों पर चलाई जाएंगी। इन पहाड़ी क्षेत्रों में हाइड्रोजन ट्रेन का संचालन विशेष रूप से उपयोगी होगा, क्योंकि यहां पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ ऊर्जा की खपत भी अधिक होती है।
सार्वजनिक परिवहन में सुधार
हाइड्रोजन ट्रेन के संचालन से न केवल पर्यावरण को फायदा होगा, बल्कि यह रेलवे नेटवर्क को अधिक सुरक्षित, किफायती और तेज बनाएगा। रेलवे की यह पहल अगले कुछ वर्षों में भारतीय रेलवे के संचालन में एक नया अध्याय जोड़ेगी। हाइड्रोजन ट्रेन का संचालन पूरी दुनिया में ग्रीन ट्रांसपोर्ट की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा और यह भारत को वैश्विक परिवहन नेटवर्क में अग्रणी बना सकता है।
भारत में हाइड्रोजन ट्रेन का संचालन भारतीय रेलवे के लिए एक ऐतिहासिक कदम है, जो पर्यावरण के लिए बेहतर होगा। यह न केवल प्रदूषण को कम करेगा, बल्कि रेलवे के संचालन में ऊर्जा की खपत भी कम करेगा। इसके अलावा, यह ट्रेन भविष्य में भारतीय रेलवे के हरित ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में एक मॉडल साबित हो सकती है। भारतीय रेलवे के इस प्रयास को और अधिक प्रोत्साहन देने के लिए देशभर में हरित ऊर्जा और स्वच्छ परिवहन के महत्व को समझना आवश्यक है।