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Criminal Laws Modify: एक जुलाई से देश में आईपीसी सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नए कानून- भारतीय न्याय संहिता (BNS) भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो गए हैं। सबसे अहम बात यह है अब तारिख पर तारिख देने का खेल खत्म हो गया है। अदालत में तीन माह यानि 90 दिन में फैसला सुनाना ही होगा।
रविवार रात 12 बजे से यानी एक जुलाई की तारीख शुरू होने के बाद घटित हुए सभी अपराध नए कानून में FIR किए जा रहे हैं। किस धारा में कौन-सा अपराध दर्ज होगा यहां पर पूरी जानकारी दी जा रही है। धाराओं के साथ सजा के प्रावधान में भी काफी Modify किया गया है।
यहां भी किया बदलाव: बता कि शादीशुदा महिला को बहलाना-फुसलाना अपराध है, लेकिन जबरन अप्राकृतिक यौन संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा। ऐसे ही अब हत्या के लिए धारा 302, धोखाधड़ी करने पर IPC 420 और दुष्कर्म के मामले में धारा 376 में FIR नहीं होगा।
बता दे कि एक जुलाई से देश में आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नए कानून- भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो गए हैं। एक जुलाई की तारीख शुरू होने के बाद घटित हुए सभी अपराध नए कानून में FIRकिए जा रहे हैं।
जाागरूकता को लेकर अभियान शुरू: Haryana Police की ओर से लोगो को जागरूकता के लिए व पुलिस Staff को भी इन कानूनो के प्रति जागरूक किय जा रहा है।
पुलिस द्वारा प्रत्येक थाना, चौकी में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। इस दौरान पर्यवेक्षण अधिकारी, प्रबंधक थाना व चौकी इंचार्ज द्वारा आमजन को तीन New criminal laws बारे विस्तार से जानकारी दी जा रही।
नए कानून व पुरानें में क्या अंतर यहा समझिए
भारतीय न्याय संहिता (BNS) में IPC की ज्यादातर धाराओं को शामिल किया गया। भारतीय न्याय संहिता (BNS) में कम्युनिटी सर्विस को सजा के तौर पर शामिल किया गया है। राजद्रोह के स्थान पर भारत की संप्रभुता, अखंडता, एकता को खतरे में डालना को शामिल किया गया है।
किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के द्वारा हिंसा की धमकी हिंसा का उपयोग या किसी अन्य गैर-कानूनी तरीके से अपराध करने को संगठित अपराध करने की श्रेणी में लिया गया है, जिसके लिए BNS की धारा 111 में सजा का प्रावधान है। आर्थिक अपराधों को भी इस श्रेणी में शामिल किया गया है।
किसी अपराध को करने के लिए बच्चों को काम में लगाना को भारतीय न्याय संहिता की धारा 95 के अंतर्गत अपराध माना जाएगा।भारत में Crime के लिए भारत के बाहर किसी को बहकाना या उकसाना को भारतीय न्याय संहिता की IPC 48 के अंतर्गत Crime माना जाएगा।
किसी महिला की निजी तस्वीरें बिना महिला की इजाजत के खींचना/देखना भारतीय न्याय संहिता के द्वारा 77 के अंतर्गत, किसी महिला का पीछा करना भारतीय न्याय संहिता की धारा 78 के अंतर्गत Crime माना जाएगा। बलपूर्वक तथा हिंसा करते हुए दंगे करना भारतीय न्याय संहिता की धारा 191 के अंतर्गत Crime माना जाएगा।
यहां भी हुआ बदलाव: Cr.PC में 484 धाराएं थी वहीं अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) में 531 धाराएं हैं, पूर्व में प्रथम सूचना रिपोर्ट CrPC की धारा 154 के तहत अंकित की जाती थी जो कि अब 01 जुलाई 2024 से BNSS की धारा 173 के तहत अंकित की जाएगी।
BNSS की धारा 105 के तहत अनुसंधान के दौरान बरामदगी के समय वीडियोग्राफी की जानी आवश्यक होगी। वही BNSS की धारा 176 (3) के तहत 07 साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक एक्सपर्ट के द्वारा घटनास्थल का निरीक्षण अनिवार्य होगा।
नए प्रावधान BNSS के अनुसार अब कोई भी बलात्कार पीड़ित अपने ब्यान मोबाईल फोन सहित किसी भी अन्य ऑडियो/Video इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से भी अंकित करवा सकती है।
सम्मन/नोटिस तथा वारंट ई-मेल के द्वारा भी तमिल करवाए जा सकते है।
BNSS की धारा 43 के तहत आदतन अपराधी, हिरासत से भागा हुआ अपराधी, संगठित अपराध, आतंकवादी कृत्य, नशीली दवाओं से सम्बंधित अपराध, हथियार या गोला बारूद का पर अवैध कब्जा रखना, हत्या, बलात्कार व राज्य के खिलाफ अपराध सहित कुछ अन्य मामलों में पुलिस द्वारा आरोपी को गिरफ्तार करते समय या मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करते समय हथकङी इस्तेमाल करने के भी प्रावधान दिए गए है।
नए कानूनों के तहत भगोड़े अपराधियों पर सख्ती की जाएगी। उनकी गैरमौजूदगी में कोर्ट में ट्रायल भी हो सकेगा। अब फरार घोषित अपराधी के बगैर भी मुकदमा चल सकेगा। फरार आरोपी पर आरोप तय होने के तीन महीने बाद trial शुरू हो जाएगा।
अदालत को पहली सुनवाई की तारीख से 60 दिन के भीतर आरोपी पर आरोप तय करने होंगे। सुनवाई पूरी होने के बाद 30 दिन के अंदर फैसला सुनाना होगा तथा फैसले की घोषणा 07 के अन्दर न्यायालय द्वारा पोर्टल पर अपलोड की जाएगी।