Delhi Politics: AAP के नेता सांसद संजय सिंह ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखे हमले किए। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी विदेश यात्रा पर जाते हैं, तो लोग सोचते हैं कि वह भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूत करने जा रहे हैं, लेकिन असल में वह अपने मित्र अडानी को मजबूत करने जाते हैं। संजय सिंह ने इस दौरान मोदी सरकार और अडानी समूह के बीच संबंधों को लेकर कई आरोप लगाए और घटनाओं का सिलसिलेवार विवरण दिया।
संजय सिंह का मोदी सरकार पर बड़ा आरोप
प्रेस को संबोधित करते हुए संजय सिंह ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब विदेश दौरे पर जाते हैं, तो लोग यह उम्मीद करते हैं कि वह भारत के हितों को मजबूत करेंगे। लेकिन हकीकत यह है कि प्रधानमंत्री अपने मित्र अडानी को फायदा पहुंचाने के लिए जाते हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि 2017 में मोदी जी ने बांग्लादेश की यात्रा की और उसके अगले महीने अडानी को वहां डील मिल गई। इसी तरह, 2018 में मोदी जी ने यूक्रेन का दौरा किया और उसी साल दिसंबर में अडानी को सैन्य ड्रोन का लाइसेंस मिला।
विदेश यात्राओं के बाद अडानी को मिले सौदे
संजय सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्राओं और अडानी समूह को मिलने वाले सौदों में सीधा संबंध है। उन्होंने कुछ उदाहरण प्रस्तुत किए:
- सिंगापुर यात्रा, जून 2018: प्रधानमंत्री मोदी सिंगापुर गए और जुलाई में अडानी पोर्ट्स को हजारों करोड़ रुपये का काम मिला।
- श्रीलंका यात्रा, फरवरी 2020: मोदी जी श्रीलंका गए और उसके बाद अडानी को वहां अनुबंध मिला।
- नेपाल यात्रा, जून 2023: प्रधानमंत्री की नेपाल यात्रा के बाद अडानी को एयरपोर्ट का ठेका मिला।
- तंजानिया बैठक, अक्टूबर 2023: प्रधानमंत्री ने तंजानिया के प्रधानमंत्री से मुलाकात की और मई 2024 में अडानी को पोर्ट डील मिली।
- वियतनाम यात्रा, जुलाई 2024: प्रधानमंत्री की वियतनाम यात्रा के बाद अडानी ने वहां निवेश किया।
केन्या और अमेरिका में उठे सवाल
संजय सिंह ने केन्या का भी जिक्र किया, जहां अडानी को एयरपोर्ट का अनुबंध दिया गया था। उन्होंने कहा कि केन्या की संसद में इसे लेकर हंगामा हुआ और सवाल उठे कि अडानी को यह अनुबंध क्यों दिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में अमेरिका से खबर आई कि केन्या ने अडानी को दिए गए दोनों अनुबंध रद्द कर दिए हैं।
अमेरिका में अडानी पर जांच और सेबी की चुप्पी
संजय सिंह ने अमेरिका में अडानी समूह पर चल रही जांच का जिक्र करते हुए कहा, “मार्च 2024 में खबर आई कि अमेरिका में अडानी के खिलाफ जांच हो रही है। भारत के कानून के अनुसार, स्टॉक एक्सचेंज को इसकी जानकारी देनी चाहिए थी, लेकिन अडानी ने एक पत्र लिखकर दावा किया कि कोई जांच नहीं हो रही है। अब हालात ऐसे हैं कि वॉरंट तक जारी हो गया है।” उन्होंने सवाल उठाया कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) इस मामले पर चुप क्यों है और प्रधानमंत्री मोदी अडानी को बचाने में क्यों लगे हुए हैं।
एयरपोर्ट अनुबंध के लिए बदले गए नियम
संजय सिंह ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने अडानी को एयरपोर्ट का अनुबंध देने के लिए नियम तक बदल दिए। उन्होंने कहा, “यह देश जानना चाहता है कि जो व्यक्ति कहता था कि भैंस चोरी नहीं होगी, उसने अपने आसपास तरह-तरह के डकैत बिठा रखे हैं। मोदी जी इस देश के प्रधानमंत्री नहीं हैं, बल्कि अडानी के प्रधानमंत्री हैं।”
संसद में विरोध और जांच की मांग
संजय सिंह ने यह भी घोषणा की कि 25 तारीख से शुरू हो रहे संसद सत्र में आम आदमी पार्टी इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाएगी। उन्होंने कहा, “हम इस घोटाले और भ्रष्टाचार का संसद में कड़ा विरोध करेंगे और इसकी जांच की मांग करेंगे। हम पूछेंगे कि अब तक कोई गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई।”
संजय सिंह के बयान का राजनीतिक महत्व
संजय सिंह के इस बयान ने भारतीय राजनीति में एक बार फिर अडानी और मोदी सरकार के संबंधों पर बहस को तेज कर दिया है। विपक्षी दल पहले भी इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते रहे हैं। अब आम आदमी पार्टी ने भी इस मुद्दे को लेकर खुलकर मोर्चा खोल दिया है।
मोदी-अडानी संबंधों पर बहस
संजय सिंह के आरोपों के बाद एक बार फिर से यह सवाल उठने लगा है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं का मुख्य उद्देश्य अडानी समूह को फायदा पहुंचाना है। विपक्ष का दावा है कि अडानी समूह को कई महत्वपूर्ण अनुबंध बिना किसी प्रतिस्पर्धा के दिए गए हैं।
संजय सिंह द्वारा लगाए गए आरोप प्रधानमंत्री मोदी और अडानी समूह के बीच संबंधों को लेकर एक बड़ी बहस को जन्म दे सकते हैं। हालांकि, यह देखना बाकी है कि इन आरोपों का सरकार और अडानी समूह की ओर से क्या जवाब दिया जाएगा। आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे को संसद में उठाने का ऐलान किया है, जिससे यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में इस मामले पर और भी चर्चा होगी। जनता को इस मुद्दे पर जवाब मांगने का अधिकार है, और यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इन सवालों का स्पष्ट और पारदर्शी जवाब दे।