Delhi: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता में गिरावट को देखते हुए सरकार फिर से Odd-even योजना लागू करने और वर्क फ्रॉम होम के उपायों पर विचार कर रही है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बच्चे और बुजुर्ग सहित सभी लोग सांस लेने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं, और यह एक गंभीर स्थिति है।
वर्तमान स्थिति:
दिल्ली की वायु गुणवत्ता रविवार से “गंभीर” श्रेणी में है। AQI लगातार 450 के ऊपर दर्ज हो रहा है। ऐसी स्थिति में दिल्ली सरकार ने कई उपाय लागू किए हैं, जिनमें वाहनों पर GRAP-IV के तहत प्रतिबंध शामिल है। अब सरकार ऑड-ईवन योजना लागू करने और वर्क फ्रॉम होम को बढ़ावा देने पर विचार कर रही है।
गोपाल राय का बयान:
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, “हम स्थिति का आकलन कर रहे हैं। GRAP-IV के तहत लगाए गए प्रतिबंधों का प्रभाव देखा जा रहा है। इसके बाद वाहनों के संचालन पर ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू करने का निर्णय लिया जाएगा।” उन्होंने मौजूदा स्थिति को मेडिकल इमरजेंसी करार दिया और सभी लोगों से मिलकर इस समस्या का समाधान निकालने की अपील की।
वर्क फ्रॉम होम पर विचार:
सरकार वर्क फ्रॉम होम को लेकर भी जल्द निर्णय लेने वाली है। यह कदम निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है, जिससे सड़कों पर वाहनों की संख्या कम हो और वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।
प्रदूषण के खिलाफ केंद्र से कार्रवाई की मांग:
गोपाल राय ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए भाजपा शासित राज्यों में GRAP के नियमों का उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि इस गंभीर स्थिति को संभालने के लिए तत्काल आपात बैठक बुलाई जाए और कृत्रिम बारिश का सहारा लिया जाए।
केंद्र सरकार की भूमिका:
मंत्री गोपाल राय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की। उन्होंने कहा, “यह प्रधानमंत्री की नैतिक जिम्मेदारी है कि वे प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कदम उठाएं। यदि केंद्र सरकार कार्रवाई करने में असमर्थ है, तो उसके संबंधित मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए।”
ऑड-ईवन योजना:
दिल्ली सरकार का ऑड-ईवन फॉर्मूला पहले भी प्रदूषण कम करने में कारगर साबित हुआ है। इस योजना के तहत एक दिन सम संख्या वाले और अगले दिन विषम संख्या वाले वाहनों को चलने की अनुमति दी जाती है। इससे सड़क पर वाहनों की संख्या घटती है और वायु गुणवत्ता में सुधार होता है।
प्रदूषण की वर्तमान स्थिति:
- AQI: दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 450 से ऊपर बना हुआ है।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव: डॉक्टरों के अनुसार, गंभीर प्रदूषण से श्वसन तंत्र पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
- सरकार के कदम: सार्वजनिक और निजी वाहनों पर प्रतिबंध, निर्माण कार्यों पर रोक, और पटाखों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।
GRAP का प्रभाव:
दिल्ली सरकार ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत कई कदम उठाए हैं। इसमें वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध, निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण और उद्योगों में स्वच्छ ईंधन का उपयोग शामिल है। हालांकि, मंत्री ने कहा कि GRAP को केवल दिल्ली में लागू करना पर्याप्त नहीं है। इसे पूरे उत्तर भारत में लागू करना होगा।
मेडिकल इमरजेंसी:
मौजूदा स्थिति को मेडिकल इमरजेंसी करार देते हुए गोपाल राय ने कहा कि इस समय सभी को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि यह समय टकराव का नहीं बल्कि समाधान का है। उन्होंने प्रदूषण से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।
कृत्रिम बारिश का सुझाव:
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए कृत्रिम बारिश का सुझाव दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार, कृत्रिम बारिश वायु में मौजूद प्रदूषकों को कम कर सकती है और लोगों को राहत दे सकती है।
प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कारण:
- वाहनों का बढ़ता उपयोग: दिल्ली में बढ़ते वाहनों की संख्या प्रदूषण का मुख्य कारण है।
- पराली जलाना: उत्तर भारत के राज्यों में पराली जलाने से प्रदूषण बढ़ता है।
- उद्योगों का प्रदूषण: कई उद्योग स्वच्छ ईंधन का उपयोग नहीं कर रहे हैं।
- निर्माण कार्य: निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के उपाय नहीं किए जा रहे हैं।
लोगों से अपील:
सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे प्रदूषण के इस गंभीर स्तर को ध्यान में रखते हुए अपनी जिम्मेदारी निभाएं। गैर-जरूरी वाहनों का उपयोग कम करें और साझा यातायात साधनों का उपयोग करें।
भविष्य की रणनीति:
- दिल्ली सरकार वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए तकनीकी उपायों पर ध्यान दे रही है।
- केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
- कृत्रिम बारिश और अन्य वैज्ञानिक उपायों पर विचार किया जा रहा है।
दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति एक गंभीर समस्या बन चुकी है। सरकार द्वारा उठाए गए कदम और जनता की भागीदारी से ही इस समस्या का समाधान संभव है। ऑड-ईवन योजना और वर्क फ्रॉम होम जैसे उपाय न केवल प्रदूषण को नियंत्रित करेंगे बल्कि स्वस्थ पर्यावरण के निर्माण में भी सहायक होंगे। यह समय है कि सभी लोग मिलकर इस चुनौती का सामना करें और स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित करें