Delhi University: नजफगढ़ कॉलेज का नाम वीर सावरकर पर क्यों? एसएफआई ने उठाई सवाल और बदलाव की मांग

दिल्ली विश्वविद्यालय

Delhi University (डीयू) के नजफगढ़ में बनने वाले नए कॉलेज का नाम वीर सावरकर के नाम पर रखने के फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया है। स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने इस फैसले का कड़ा विरोध करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह को पत्र लिखकर इस कॉलेज का नाम बदलकर भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के नाम पर रखने की अपील की है।

वीर सावरकर के नाम पर कॉलेज का नामकरण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दिल्ली विश्वविद्यालय के दो नए परिसरों और वीर सावरकर के नाम पर नजफगढ़ में बनने वाले कॉलेज की आधारशिला रखी। इस फैसले के खिलाफ एसएफआई ने अपने पत्र में लिखा, “हमने विश्वविद्यालय की वेबसाइट और विभिन्न समाचार स्रोतों से जाना कि आपने इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में नजफगढ़ में बनने वाले नए कॉलेज का नाम विनायक दामोदर सावरकर के नाम पर रखने का फैसला किया है। यह निर्णय भारत के बहुलतावादी और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।”

सावरकर के विचारों पर सवाल

एसएफआई ने सावरकर को एक विवादास्पद विचारक बताते हुए कहा कि उन्होंने समानता, स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों का विरोध किया। उनके विचार दिल्ली विश्वविद्यालय की समृद्ध विरासत और प्रगतिशील दृष्टिकोण के विपरीत हैं। एसएफआई ने पत्र में लिखा, “सावरकर जैसे व्यक्ति, जिन्होंने समानता और समावेशिता का विरोध किया, के नाम पर कॉलेज का नाम रखना सही नहीं है।”

दिल्ली विश्वविद्यालय

सावित्रीबाई फुले के नाम पर हो कॉलेज

एसएफआई ने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि 3 जनवरी को कॉलेज की आधारशिला रखी गई, जो सावित्रीबाई फुले की जयंती है। सावित्रीबाई फुले 19वीं सदी की एक प्रमुख समाज सुधारक, शिक्षिका और कवयित्री थीं, जिन्होंने जाति और लिंग आधारित भेदभाव को चुनौती दी। एसएफआई ने लिखा, “सावित्रीबाई फुले को भारत की पहली महिला शिक्षिका माना जाता है। उनके नाम पर कॉलेज का नाम रखना दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रगतिशील विरासत को बनाए रखने के लिए उपयुक्त होगा।”

सावरकर की आलोचना

एसएफआई ने अपने पत्र में वीर सावरकर के विचारों की आलोचना करते हुए कहा कि वे समावेशी शिक्षा के खिलाफ थे। उनके महिलाओं की शिक्षा के प्रति अपमानजनक टिप्पणियां उन्हें किसी शैक्षणिक संस्थान का नामकरण के लिए अनुपयुक्त बनाती हैं।

सावित्रीबाई फुले: प्रगतिशील शिक्षा की प्रतीक

सावित्रीबाई फुले ने 19वीं सदी में महिलाओं और दलितों की शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने सामाजिक भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी और एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया जो आज भी प्रेरणा का स्रोत है। उनके नाम पर कॉलेज का नाम रखना दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रगतिशील और समावेशी दृष्टि को प्रदर्शित करेगा।

ऑल इंडिया स्टूडेंट्स यूनियन का समर्थन

एसएफआई ने ऑल इंडिया स्टूडेंट्स यूनियन की ओर से भी नजफगढ़ कॉलेज का नाम सावित्रीबाई फुले के नाम पर रखने की मांग की। उन्होंने कुलपति से आग्रह किया कि कॉलेज का नाम बदलकर भारत के प्रगतिशील और समानता आधारित मूल्यों को बढ़ावा दिया जाए।

नजफगढ़ कॉलेज का नामकरण वीर सावरकर के नाम पर करना विवादास्पद फैसला है, जिसे सावित्रीबाई फुले जैसे समाज सुधारकों के नाम पर बदलने की मांग उचित प्रतीत होती है। सावित्रीबाई फुले के योगदान को सम्मान देना न केवल दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रगतिशील छवि को मजबूत करेगा, बल्कि शिक्षा में समावेशिता और समानता के मूल्यों को भी बढ़ावा देगा।