International Gita Mahotsav: किसानों से लेकर व्यापारियों तक, हर वर्ग की होगी हिस्सेदारी

International Gita Mahotsav

International Gita Mahotsav: अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव इस बार 28 नवंबर से प्रारंभ हो रहा है, जिसमें सामाजिक समरसता और सामुदायिक भागीदारी की अद्भुत झलक देखने को मिलेगी। यह पहली बार होगा जब किसान, व्यापारी और अन्य सामाजिक वर्ग इस महोत्सव में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड (केडीबी) और हरियाणा सरकार ने इस आयोजन को आम जनता का उत्सव बनाने की दिशा में बड़े कदम उठाए हैं।

गीता महोत्सव का उद्देश्य

गीता महोत्सव का मूल उद्देश्य भगवान श्रीकृष्ण के गीता संदेश को जन-जन तक पहुंचाना है। यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक महत्व को भी बढ़ावा देता है। इस वर्ष का महोत्सव, सामाजिक समरसता को बढ़ाने के उद्देश्य से, समाज के सभी वर्गों को जोड़ने की अनूठी पहल कर रहा है।

मुख्यमंत्री की विशेष भागीदारी

मुख्यमंत्री नायब सैनी ने इस महोत्सव को सफल बनाने के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदारी संभाली है। शुक्रवार को गीता ज्ञान संस्थानम में वे 400 से अधिक सामाजिक, धार्मिक और व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करेंगे। इस बैठक में महोत्सव को जन-जन तक पहुंचाने और इसे और अधिक भव्य बनाने के उपायों पर चर्चा की जाएगी।

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विभिन्न वर्गों की सहभागिता

इस बार गीता महोत्सव में किसानों, व्यापारियों, कमीशन एजेंटों, सामाजिक संगठनों और धार्मिक संस्थाओं की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। पहली बार व्यापारी वर्ग और किसान इस महोत्सव के मुख्य कार्यक्रमों का हिस्सा बनेंगे। यह पहल महोत्सव को एक व्यापक और सामाजिक रूप देने का प्रयास है।

बैठक की तैयारियां

मुख्यमंत्री द्वारा आयोजित यह महत्वपूर्ण बैठक लगभग दो घंटे चलेगी, जिसमें महोत्सव के सभी पहलुओं पर विस्तार से विचार किया जाएगा। इस बैठक का उद्देश्य समाज के हर वर्ग को महोत्सव में शामिल करने और इसकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाना है।

गीता महोत्सव का ऐतिहासिक विस्तार

पिछले वर्षों में गीता महोत्सव मुख्य रूप से कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड तक सीमित था। सामाजिक और शैक्षिक संस्थाएं भी इसमें भाग लेती थीं। लेकिन पिछले साल इसका दायरा बढ़ाया गया और 48 कोस के तीर्थों को इसमें शामिल किया गया। हर तीर्थस्थल पर उत्सव आयोजित किया गया और वहां की मिट्टी और जल को एकत्रित कर महोत्सव का हिस्सा बनाया गया।

मुख्य कार्यक्रमों की रूपरेखा

इस वर्ष का गीता महोत्सव 28 नवंबर से हस्तशिल्प और सरस मेले के साथ शुरू होगा, जो 15 दिसंबर तक चलेगा। मुख्य कार्यक्रम 5 दिसंबर से 11 दिसंबर तक आयोजित किए जाएंगे। इनमें ब्रह्मसरोवर के किनारे पुरूषोत्तमपुरा बाग में होने वाले भव्य आयोजन शामिल हैं।

  • अंतरराष्ट्रीय गीता संगोष्ठी: यह संगोष्ठी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित होगी।
  • गीता पाठ: 18 हजार स्कूली बच्चे गीता के श्लोकों का पाठ करेंगे। यह आयोजन गीता के शाश्वत संदेश को व्यापक रूप से प्रसारित करेगा।

सामाजिक और धार्मिक संगठनों का जुड़ाव

इस महोत्सव में धार्मिक और सामाजिक संगठनों के साथ-साथ आवासीय संस्थाएं और व्यापारी वर्ग भी सक्रिय रूप से शामिल होंगे। यह कदम महोत्सव को एक व्यापक सामुदायिक कार्यक्रम के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास है।

सभी वर्गों की सहभागिता पर जोर

केडीबी के मानद सचिव उपेंद्र सिंघल ने बताया कि इस बार हर वर्ग के लोगों को महोत्सव में जोड़ने का प्रयास किया गया है। हर व्यक्ति की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए व्यापक योजनाएं बनाई गई हैं।

सुझाव संग्रहण प्रक्रिया

मुख्यमंत्री द्वारा आयोजित बैठक में विभिन्न संस्थाओं और संगठनों से सुझाव मांगे जाएंगे। यह सुझाव महोत्सव की गरिमा बढ़ाने और इसे और प्रभावी बनाने में सहायक होंगे।

गीता महोत्सव का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

गीता महोत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और सामुदायिक भागीदारी का प्रतीक है। यह महोत्सव एक ऐसा मंच प्रदान करता है जहां समाज के विभिन्न वर्ग एक साथ आते हैं और साझा उद्देश्यों की पूर्ति के लिए काम करते हैं।

महोत्सव का व्यापक प्रभाव

इस पहल से न केवल कुरुक्षेत्र, बल्कि पूरे हरियाणा और भारत के अन्य हिस्सों में भी गीता महोत्सव की पहचान बढ़ेगी। यह आयोजन सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बनेगा।

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2023 न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक होगा बल्कि सामाजिक समरसता और सामुदायिक सहयोग का भी अद्वितीय उदाहरण पेश करेगा। मुख्यमंत्री नायब सैनी और केडीबी के प्रयासों से यह महोत्सव हर वर्ग के लोगों को जोड़ने और उनके योगदान को मान्यता देने का महत्वपूर्ण मंच बनेगा।