Patiala House Court order: दिल्ली स्थित बीकानेर हाउस की संपत्ति को कुर्क करने का आदेश

Patiala House Court order

Patiala House Court order:  दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने (Rajasthan News)  राजस्थान के नोखा नगर पालिका द्वारा स्वामित्व वाले बीकानेर हाउस की संपत्ति को कुर्क करने का आदेश दिया है। यह आदेश, Enviro Infra Engineers Private Limited और नोखा नगरपालिका के बीच चल रहे विवाद के समाधान में किया गया है। Patiala House Court order

 

कोर्ट ने यह आदेश इस आधार पर दिया है कि नोखा नगर पालिका ने फरवरी 21, 2023 को दिए गए समझौते का पालन नहीं किया है, जिसके तहत उसे Enviro Infra Engineers Private Limited के पक्ष में ₹50,31,512 का भुगतान करना था। कोर्ट ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया कि जब तक आगे का आदेश नहीं आता, नोखा नगरपालिका को इस संपत्ति से संबंधित किसी भी प्रकार के कार्य को करने से रोक दिया गया है।

पटियाला हाउस कोर्ट ने बीकानेर हाउस की संपत्ति की कुर्की का आदेश दिया है और इसकी नीलामी की घोषणा 29 नवंबर को कोर्ट में की जाएगी, जिसमें संपत्ति की शर्तें और अन्य संबंधित प्रक्रियाएं बताई जाएंगी। Patiala House Court order

 

जिला न्यायधीश विद्या प्रकाश ने यह आदेश दिया और कहा कि 2020 में ‘Enviro Infra Engineers Private Limited’ के पक्ष में पारित हुए फैसले के बाद नगरपालिका द्वारा दायर अपील को इस साल खारिज कर दिया गया था, जिससे यह आदेश अब अंतिम रूप से लागू हो गया है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि नगर पालिका द्वारा कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया है।

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कोर्ट का आदेश और कारण

कोर्ट ने आदेश में यह कहा कि, “बार-बार अवसर देने के बावजूद, ऋणी (नोखा नगरपालिका) द्वारा अपनी संपत्ति का हलफनामा जमा करने के आदेश का पालन नहीं किया गया। इस पर कोर्ट ने यह फैसला लिया कि यह मामला संपत्ति की कुर्की का है।” कोर्ट के मुताबिक, यह मामला इस हद तक गंभीर था कि, Enviro Infra Engineers Private Limited द्वारा अर्जित धन का भुगतान न करने की वजह से उनकी संपत्ति पर कुर्की का आदेश दिया गया। Patiala House Court order

इस आदेश में यह भी बताया गया कि, “नोखा नगरपालिका को संपत्ति को न तो बेचना, न तो उपहार के रूप में देना और न ही किसी अन्य तरीके से स्थानांतरित करना allowed है।” यह निर्णय जनवरी 2020 में हुए आर्बिट्रेशन फैसले के अनुपालन में लिया गया था। आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल के आदेश को लागू करने के लिए कोर्ट ने यह कदम उठाया।Patiala House Court order

क्या था मामला

यह विवाद Enviro Infra Engineers Private Limited और नोखा नगर पालिका के बीच एक वित्तीय लेन-देन से जुड़ा हुआ था। वर्ष 2020 में हुए आर्बिट्रेशन फैसले के अनुसार, नोखा नगरपालिका को ₹50,31,512 का भुगतान Enviro Infra Engineers Private Limited को करना था। हालांकि, नगरपालिका ने समय पर और सही तरीके से इस भुगतान को नहीं किया। इसके चलते Enviro Infra Engineers ने कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसके बाद यह मामला पटियाला हाउस कोर्ट तक पहुंचा।

आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल ने 2020 में ही अपने फैसले में नगरपालिका को यह आदेश दिया था कि वह राशि का भुगतान करे। हालांकि, नगरपालिका ने इस फैसले को चुनौती दी थी, लेकिन इस साल के शुरुआत में उनकी अपील को खारिज कर दिया गया। इसके बाद, कोर्ट ने नगर पालिका के खिलाफ कार्रवाई करते हुए बीकानेर हाउस की संपत्ति को कुर्क करने का आदेश दिया।

कोर्ट का दृष्टिकोण

कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी उल्लेख किया कि नगरपालिका द्वारा बार-बार अवसर दिए जाने के बावजूद यह संपत्ति के बारे में हलफनामा पेश नहीं किया गया। इससे कोर्ट को यह निष्कर्ष पर पहुंचने में मदद मिली कि यह मामला कुर्की का है और इसी आधार पर बीकानेर हाउस की संपत्ति पर कुर्की लगाई जाएगी। कोर्ट ने यह निर्णय उस समय लिया जब नगरपालिका ने आर्बिट्रेशन फैसले का पालन नहीं किया और इसे लागू करने के लिए यथासम्भाव प्रयास नहीं किए।Patiala House Court order

बीकानेर हाउस की नीलामी

कोर्ट के आदेश के बाद अब 29 नवंबर को बीकानेर हाउस की नीलामी के लिए सार्वजनिक घोषणा की जाएगी। नीलामी में संपत्ति के शर्तें, कागजी कार्रवाई और अन्य आवश्यक प्रक्रियाओं की जानकारी दी जाएगी। यह नीलामी नगरपालिका द्वारा अपनी वित्तीय जिम्मेदारियों को पूरा करने में विफल रहने के बाद की जा रही है।

सम्पत्ति की कुर्की के नतीजे

यदि बीकानेर हाउस की नीलामी सफल होती है, तो प्राप्त राशि को Enviro Infra Engineers Private Limited को भुगतान करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि नगर पालिका पर लागू हुए आर्बिट्रेशन फैसले का अनुपालन किया जा सके। इसके अलावा, यह अन्य नगरपालिकाओं और सरकारी संस्थाओं के लिए एक चेतावनी भी है कि वे किसी भी वित्तीय दायित्व को हल करने में असमर्थ न हों, क्योंकि इससे उनकी संपत्तियों पर प्रभाव पड़ सकता है।

यह मामला दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट के महत्वपूर्ण आदेशों में से एक है, जो यह बताता है कि सरकारी निकायों को न्यायिक आदेशों का पालन करना कितना जरूरी है। अगर नगर पालिका समय पर अपने वित्तीय दायित्वों को नहीं पूरा करती, तो उनके पास कुछ संपत्तियां हो सकती हैं जिन्हें जब्त किया जा सकता है।

 

इस मामले ने यह भी दिखाया कि आर्बिट्रेशन फैसले के बाद न्याय का रास्ता अपनाने के अलावा अन्य विकल्प सीमित होते हैं और अगर आदेश लागू नहीं होते हैं तो संपत्ति कुर्की की प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है।Patiala House Court order