Pneumonia: बदलते मौसम, बढ़ता प्रदूषण और ठंड का असर… ये सभी कारण बच्चों की सेहत को बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं। सर्दियों के मौसम में बच्चों में सर्दी और खांसी की समस्या काफी बढ़ जाती है। जब यह सर्दी लंबे समय तक बनी रहती है, तो इसके न्यूमोनिया में बदलने का खतरा बढ़ जाता है।
खासकर वे बच्चे जो दूध बोतल से पीते हैं, उनमें न्यूमोनिया होने का खतरा 10 गुना बढ़ जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि जब बच्चा बोतल से दूध पीता है, तो कई बार बोतल सोते समय भी उसके मुंह में रह जाती है। इस स्थिति में दूध सांस की नली में जमा होने लगता है, जो धीरे-धीरे संक्रमण का कारण बनता है और न्यूमोनिया शुरू हो जाता है।
बच्चों में बढ़ता न्यूमोनिया का खतरा
डॉक्टरों के अनुसार, बदलते मौसम में 1 से 5 साल के बच्चों में डायरिया, न्यूमोनिया और सर्दी की समस्या अधिक होती है। अगर बच्चों में सर्दी और खांसी लंबे समय तक बनी रहे, तो यह बुखार का कारण बन सकता है। बच्चे की सांस लेने में भी कठिनाई होने लगती है और कभी-कभी उसकी पसलियों से आवाज़ आने लगती है।
अगर समय पर न्यूमोनिया का इलाज नहीं किया जाए, तो यह संक्रमण बढ़ता जाता है और पसलियों और श्वास नली में मवाद बनने लगता है। इस स्थिति में बच्चे की सांस रुक सकती है, जो घातक भी हो सकता है।
कब खतरनाक हो जाता है न्यूमोनिया?
जब संक्रमण बढ़ता है, तो फेफड़ों में मवाद बनता है, जिसे एक ट्यूब के जरिए बाहर निकाला जाता है। यह न्यूमोनिया की अत्यधिक गंभीर स्थिति होती है। इस स्थिति से बच्चे को बचाने के लिए समय पर उचित कदम उठाना जरूरी है।
बच्चों को न्यूमोनिया से कैसे बचाएं?
- धुएं और मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती से बचाएं
बच्चों के कमरे में धुआं या मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती न जलाएं, क्योंकि इससे उनकी सांस लेने में दिक्कत हो सकती है और फेफड़ों में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। - मां का दूध पिलाएं और पोषक आहार दें
बच्चों को अधिक से अधिक मां का दूध पिलाएं, क्योंकि मां का दूध बच्चों के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। यदि बच्चा ठोस आहार लेता है, तो उसे पौष्टिक और स्वस्थ भोजन दें। - मां खुद रखें ठंड से बचाव
जो माताएं अपने बच्चों को दूध पिलाती हैं, उन्हें ठंड से बचाव करना चाहिए। ठंड में सुबह की सैर से बचें और अधिक ठंडी चीजों का सेवन न करें। - साफ और सूखे कपड़े पहनाएं
बच्चों को ठंड से बचाने के लिए सूखे और साफ कपड़े पहनाएं। बच्चों की साफ-सफाई का ध्यान रखें, ताकि संक्रमण से बचा जा सके। - समय पर टीकाकरण कराएं
बच्चों को आवश्यक टीके समय पर दिलवाएं और न्यूमोनिया का टीका भी समय पर दिलवाएं। इससे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और वे संक्रमण से लड़ने में सक्षम होते हैं।
बोतल से दूध पिलाने पर विशेष ध्यान दें
बच्चों में न्यूमोनिया का एक बड़ा कारण बोतल से दूध पिलाना भी होता है। बोतल से दूध पीते समय बच्चे का सिर अक्सर नीचे की तरफ होता है, जिससे दूध उसके श्वसन तंत्र में चला जाता है। इस कारण धीरे-धीरे दूध श्वसन नली में जमा हो सकता है और वहां संक्रमण का कारण बन सकता है। बेहतर है कि बोतल से दूध पिलाने की बजाय बच्चों को कप या गिलास से दूध पिलाएं। अगर बोतल से ही दूध पिलाना जरूरी हो, तो बच्चे का सिर थोड़ी ऊंचाई पर रखें और बोतल निकालने के बाद बच्चे को थोड़ा उठाकर रखें, ताकि दूध सही तरीके से पच सके।
न्यूमोनिया के लक्षणों को पहचानें
न्यूमोनिया के लक्षणों को पहचानना और समय पर इलाज कराना भी बहुत जरूरी है। अगर बच्चे में निम्न लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:
- लगातार खांसी और बुखार
- सांस लेने में तेज़ी या कठिनाई
- पसलियों से आवाज़ आना
- कमजोरी और सुस्ती का एहसास होना
न्यूमोनिया की रोकथाम और इलाज
अगर बच्चे में न्यूमोनिया के लक्षण दिखाई दें, तो उसे तुरंत चिकित्सकीय परामर्श दिलाएं। डॉक्टर के निर्देशानुसार बच्चे को दवाएं दें और घर पर साफ-सफाई का ध्यान रखें। बच्चों को भीड़भाड़ वाले स्थानों से दूर रखें और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए उन्हें पौष्टिक आहार दें।
सर्दियों में बच्चों का विशेष ध्यान रखना जरूरी है, ताकि वे ठंड, सर्दी और न्यूमोनिया जैसी बीमारियों से सुरक्षित रह सकें। बच्चों की स्वास्थ्य रक्षा के लिए समय पर कदम उठाना ही उनके सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य का आधार बन सकता है।