Haryana में एससी आरक्षण दो हिस्सों में बांटा गया, अब किस आधार पर मिलेगा आरक्षण?

Haryana में एससी आरक्षण दो हिस्सों में बांटा गया, अब किस आधार पर मिलेगा आरक्षण?

Haryana में एससी (अनुसूचित जाति) के लिए आरक्षण अब दो हिस्सों में बांट दिया गया है। यह ऐतिहासिक फैसला राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने विधानसभा में अपने संबोधन में किया। इस फैसले के अनुसार, अनुसूचित जातियों को मिलने वाला 20 प्रतिशत आरक्षण अब दो हिस्सों में बांटा जाएगा। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर लिया गया है, जिसका उद्देश्य दलित समुदाय के गरीब वर्गों को अधिक लाभ पहुंचाना है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी इस फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि इससे उन वर्गों को लाभ मिलेगा जो अब तक आरक्षण का लाभ नहीं ले पा रहे थे।

आरक्षण के दो हिस्सों में बंटने का कारण

हरियाणा में पहले अनुसूचित जातियों के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण था, लेकिन अब इसे दो हिस्सों में बांट दिया गया है। 20 प्रतिशत आरक्षण में से 10 प्रतिशत आरक्षण अब वंचित अनुसूचित जातियों के लिए होगा, जबकि बाकी 10 प्रतिशत आरक्षण अन्य अनुसूचित जातियों के लिए होगा। इसका उद्देश्य उन दलित वर्गों को प्राथमिकता देना है जिन्हें अब तक आरक्षण के लाभ से वंचित रखा गया था।

यह कदम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत उठाया गया है, जो यह चाहता है कि आरक्षण का लाभ अधिक से अधिक जरूरतमंद वर्गों को मिल सके। मुख्यमंत्री ने इस कदम को सकारात्मक बताते हुए कहा कि इससे अत्यधिक पिछड़े वर्गों को प्राथमिकता मिलेगी और उन्हें आरक्षण के अधिक लाभ मिलेंगे।

Haryana में एससी आरक्षण दो हिस्सों में बांटा गया, अब किस आधार पर मिलेगा आरक्षण?

आरक्षण का लाभ कैसे मिलेगा?

सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि वंचित अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटें खाली रहती हैं, तो उन्हें अन्य अनुसूचित जातियों से भरा जाएगा। इसी प्रकार, यदि अन्य अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटें भरने में विफल रहती हैं, तो उन्हें वंचित अनुसूचित जातियों के उम्मीदवारों को आवंटित किया जाएगा। इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होगा कि अधिक से अधिक लोग आरक्षण का लाभ उठा सकें।

साथ ही, आवंटन प्रक्रिया में यह भी तय किया गया है कि यदि सीटों की संख्या विषम (odd) होती है, तो वंचित जातियों को प्राथमिकता दी जाएगी। उदाहरण के तौर पर, यदि कुल 9 सीटें हैं, तो 5 सीटें वंचित जातियों के लिए आरक्षित होंगी, जबकि 4 सीटें अन्य अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित की जाएंगी। यह व्यवस्था सुनिश्चित करेगी कि आरक्षण का सही उपयोग हो और किसी भी सीट का दुरुपयोग न हो।

आरक्षण का असर शिक्षा और रोजगार पर

यह आरक्षण संरचना शिक्षा और रोजगार में भी लागू होगी। राज्य सरकार के सरकारी नौकरियों, स्थानीय निकायों और शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश के लिए इस नए आरक्षण व्यवस्था का पालन किया जाएगा। यह व्यवस्था हरियाणा के लिए एक ऐतिहासिक कदम है क्योंकि यह राज्य पहला राज्य है, जिसने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आरक्षण को इस तरीके से वर्गीकृत किया है।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि यह व्यवस्था राज्य के वंचित वर्ग के लिए ज्यादा मौके खोलेगी और उन्हें ज्यादा अवसर मिलेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस नए व्यवस्था से दलित समुदाय के उन गरीब तबकों को बेहतर अवसर मिलेंगे जो अब तक आरक्षण का लाभ ठीक से नहीं उठा पा रहे थे।

हरियाणा में आरक्षण का इतिहास

हरियाणा में आरक्षण की राजनीति लंबे समय से महत्वपूर्ण रही है। राज्य में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण का लंबा इतिहास रहा है, लेकिन अब तक यह आरक्षण मुख्य रूप से एक सामान्य तरीके से लागू किया जाता रहा है। इस नए फैसले से यह साफ हो गया है कि अब आरक्षण का लाभ ज्यादा पिछड़े वर्गों तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।

इस फैसले को लेकर कई लोग इसे एक स्वागत योग्य कदम मानते हैं क्योंकि यह सुनिश्चित करेगा कि आरक्षण का लाभ सही लोगों तक पहुंचे। वहीं कुछ विपक्षी दलों ने इस कदम पर सवाल उठाए हैं और इसे वोट बैंक की राजनीति से जोड़ने की कोशिश की है।

आरक्षण के तहत कौन से वर्ग होंगे शामिल?

इस नई व्यवस्था के तहत वंचित अनुसूचित जातियों की पहचान की जाएगी, जो शिक्षा और रोजगार में पिछड़े हुए हैं। इन वर्गों को प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि उन्हें आरक्षण का पूरा लाभ मिल सके। इसके साथ ही अन्य अनुसूचित जातियों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा, लेकिन उनका स्थान दूसरे वर्गों के मुकाबले थोड़ा पीछे होगा।

साथ ही, सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह कदम पूरी तरह से सामाजिक और आर्थिक न्याय को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

इस फैसले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं। कांग्रेस और इनेलो जैसे विपक्षी दलों ने इसे दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश करार दिया है। उनका कहना है कि सरकार का यह कदम राजनीतिक लाभ के लिए है और यह पूरी प्रक्रिया वोट बैंक की राजनीति के तहत की जा रही है। वहीं भा.ज.पा. इस फैसले को समाज के पिछड़े वर्गों के लिए एक ऐतिहासिक कदम मान रही है और इसे समाज के अंतिम छोर तक लाभ पहुंचाने का एक मजबूत प्रयास बता रही है।

हरियाणा में अनुसूचित जाति के आरक्षण को दो हिस्सों में बांटने का यह निर्णय राज्य के दलित वर्ग के लिए एक बड़ा अवसर हो सकता है। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए लिया गया है और इसका उद्देश्य उन वंचित वर्गों को आरक्षण के लाभ से जोड़े रखना है जिन्हें अब तक इसके लाभ से वंचित रखा गया था। हालांकि, इस फैसले को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म है और आगामी चुनावों में यह मुद्दा बन सकता है।

यह कदम हरियाणा के लिए एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का संकेत है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि आरक्षण का लाभ सही लोगों तक पहुंचे और राज्य में समाजिक और आर्थिक न्याय को बढ़ावा मिले।